• Ajabpur Kalan, Mothorowala Road, Dehradun, Uttarakhand

Overview

आयुर्वेद पुरातन काल से ही भारत व विश्व में चिकित्सा के लिए विख्यात रहा है तथा आयुर्वेदीय चिकित्सा ही भारत की मूल चिकित्सा प्रणाली रही है। पर्वतीय भौगौलिक परिस्थितियों के कारण आयुर्वेद में प्रयोग होने वाली औषधियों की सहज उपलब्धता होने से आयुर्वेदीय चिकित्सा प्रणाली का प्रयोग उत्तराखण्ड राज्य में वृह्द रूप से परम्परागत वैद्यों द्वारा किया जाता रहा है। आधुनिक युग में आयुर्वेद की महत्ता के दृष्टिगत प्रदेश में व प्रदेश के बाहर आयुर्वेदीय चिकित्सा में चिकित्सक (आयुर्वेदाचार्य) व अनुचिकित्सक शिक्षित हो रहे हैं व आयुर्वेद पद्धति में चिकित्सा कार्य कर रहे हैं। प्रदेश में चिकित्साभ्याास कर रहे चिकित्सकों को केन्द्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद, नई दिल्ली अधिनियम 1970 में निहित प्रावधानों के अनुरूप सूचीबद्ध करना भी परिषद के अधिकार क्षेत्र में आता है तथा उक्त चिकित्सकों के साथ अनुचिकित्सकीय कार्य हेतु प्रशिक्षित स्टाफ की आवश्यकता पड़ती है। उक्त आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उत्तराखण्ड शासन के चिकित्सा अनुभाग-1 की अधिसूचना/प्रकीर्ण संख्या 1564/XXVIII(1)-2004-27/2003 दिनांक 19 अक्टूबर 2004 द्वारा भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड का गठन किया गया तथा उत्तराखण्ड शासन के चिकित्सा अनुभाग-1 की अधिसूचना/प्रकीर्ण संख्या 1669/चि-1-2002-64/ 2002 दिनांक 07 नवम्बर 2002 द्वारा उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 87 के अधीन भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तर प्रदेश में प्रचलित संयुक्त प्रान्त (आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति) अधिनिमय 1939 को अनुकूलन एवं उपान्तरण कर लागू किया गया।

Ayurveda

भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड एक स्वायतशासी संस्था है। जो वर्तमान में अपने संसाधनों से ही संचालित है। भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड आयुर्वेद, यूनानी, तिब्बी एवं सिद्ध पद्धति के क्षेत्र में कार्य करते हुए उत्तराखण्ड शासन एवं भारत सरकार द्वारा समय-समय पर प्राप्त निर्देशों के अनुरूप में कार्य कर रही है।

भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड के मुख्य कार्य

उत्तराखण्ड राज्य की परिधि में चिकित्साभ्यास कर रहे बी0ए0एम0एस0 (आयुर्वेदिक) एवं बी0यू0एम0एस(यूनानी)/सिद्ध/तिब्बी चिकित्सा पद्धतियों के चिकित्सकों तथा परिषद द्वारा संचालित पैरामेडिकल पाठ्यक्रमों के उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का पंजीकरण  करना।

अनुचिकित्सकीय पाठ्यक्रमों का संचालनः- वर्तमान परिषद द्वारा अनुचिकित्सकीय पाठ्यक्रमों में विद्यार्थियो का प्रवेश, नामांकन, लिखित एवं प्रयोगात्मक परीक्षा, मूल्यांकन, परीक्षा परिणाम, डिप्लोमा व पंजीकरण   सम्बन्धी कार्य सम्पादित करना।

संयुक्त्त प्रान्त (आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति) अधिनियम 1939 की धारा-36 में विवरण बोर्ड में कार्य :

  • राज्य सरकार को आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी चिकित्सा पद्धति से सम्बन्धित विषयों के बारे में, जिनके अन्तर्गत शोध और स्नातकोत्तर शिक्षा भी है, सलाह देना।
  • अनुचिकित्सकीय पाठ्य-क्रम में शिक्षण देने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों को संकाय की सिफारिश पर मान्यता प्रदान करना, उनकी मान्यता निलम्बित करना या वापस लेना।
  • संकाय द्वारा संचालित परीक्षाओ के परिणाम प्रकाशित करना।
  • बोर्ड की परीक्षाओं में सफल हुए अभ्यर्थियों को डिप्लोमा या प्रमाण-पत्र प्रदान करना।
  • बोर्ड की परीक्षाओं में प्रवेश के लिये विनियमों में निर्धारित फीस उद्ग्रहीत करना।
  • संकाय को उसके कत्र्तव्यों क सम्पादन क लिय पर्याप्त धनराशि आवंटित करना।
  • आयुर्वेदिक तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति और शल्यकर्म के विकास के लिय ऐसे अन्य कृत्य करना जो इस अधिनियम के उपबन्धों से संगत हो।
  • ऐसे अन्य शक्तियों का प्रयोग करना जो इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन विनिर्दिष्ट की जायें।